फुलझड़ियों के पैसे तुम भी ,
कर दो दान दिवाली में ।।
ख़ुद के हाथों बिक ना जाए ,
स्वाभिमान दिवाली में ।।
बच्चों के इस भूखे तन को ,
किस मज़हब का चादर दूँ।।
सड़क किनारे सिसक रहे थे ,
कूड़ेदान दिवाली में ।।
मिष्ठानों का वितरण कर तुम ,
पा गए
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