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मेरे दर्द तो मेरे रहने दो

झूठ फरेब की दुनिया में, क्या तेरा है, क्या मेरा है?

यूँ ही छलती है दुनिया, हर शख्स ही एक लुटेरा है।

ना बोला तुम से कुछ भी, पर आज मुझे यह कहने दो,

सब कुछ मेरा लूटा तुम ने, मेरे दर्द तो मेरे रहने दो।


एक कदम आगे लेकर, मैं चार कदम पीछे लौटा।

जिन रस्तों से गुज़र चुका था, फिर उन पर खाया धोखा।

दहलीज़ों से राहगुज़र तक, मैं तो चलता चला गया,

जितने काँटे गुज़रगाह में, ख़लिश तो उनकी सहने दो।

सब कुछ मेरा लूटा तुम ने, मेरे दर्द तो मेरे रहने दो।


जिन को मैं ने अपना माना, भोंक के खंजर चले गए।

जिन के हवाले किया गुलिस्ताँ, कर के बंजर चले गए।

जो ग़म सीने में पाला था, कितना दिल में ख़ला गया,

हाशिये से गहर

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