![अप्सरा तुम आई's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40dhirawat/None/IMG-20230206-WA0006_08-02-2023_16-59-18-PM.jpg)
पुष्प अनगिन खिले उपवन में,
रंग नित नए घुले हैं जीवन में।
कामना में उतराते नयन से,
मधु रस तुम भर गए मन में।
भ्रमरों की अठखेली,
अधर करें रंगरेली,
सोलह श्रंगार करे,
नित नार तू नवेली।
पुष्पमाल ग्रीवा पर,
ऐसी सुहाए है, जो कनक तन पे।
गैंदे की सी सुगंध,
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