तुम छोरे नन्द के हो कान्हा
मैं छोरी हूं बरसाने की
तुम नन्द के नटखट नंद किशोर
मैं तुम्हारी राधा चंद चकोर।
वृंदावन में नटखट करते
मुरली बजाते माखन चुराते
पनघट पर जब मैं हूं जाती
छोड के सब कुछ पीछे आते
पर तुम छोड़ के सब कुछ चले गये
मुँह मोड़ कहाँ तुम चले गये
रोती सखियाँ, रोती गइयां,
रोता है सारा वृन्दावन
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