
रिश्ता ये कैसा है
नाता ये कैसा है
पहचान जिससे नहीं थी कभी
वही बना है अपना अजनबी
मेरे सामने बैठे रहो तुम
तुम्हें पाकर महसूस होता है<
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रिश्ता ये कैसा है
नाता ये कैसा है
पहचान जिससे नहीं थी कभी
वही बना है अपना अजनबी
मेरे सामने बैठे रहो तुम
तुम्हें पाकर महसूस होता है<