नर नारायण की इस भूमि पर ,नारी का सम्मान नही
नर की जय जयकार हर तरफ ,नारी का कोई मान नही
अहम पालक इस नर का ,नारी बिन कोई सार
नही
जनमा उसकी गोद में है मिट ,मिलता उसकी गोद मे है
यहाँ नारी बिन आधार नही, नारी बिन कोई सार नही
लगी सभा हसितनापुर की ,यह द्रौपदी पड़ी निठाल है
कृष्ण की इस धारा पे ,बस नर ही नारी का काल है
चली आ रही शदियों से ,यह रीत बड़ी पुरानी है
कल बस राँवन अभिमानी था, आज राम अभिमानी है
बस वहम के अहम में , जले जा रहा है ये नर अभी
निचोड़ के नारी बदन को, ओड रहा है ये नर अभी
वक्त की चाल बस ,जरा आगे निकल आयी है
धरा अभी वही है बदले न बदल पायी है&nbs
नर की जय जयकार हर तरफ ,नारी का कोई मान नही
अहम पालक इस नर का ,नारी बिन कोई सार
नही
जनमा उसकी गोद में है मिट ,मिलता उसकी गोद मे है
यहाँ नारी बिन आधार नही, नारी बिन कोई सार नही
लगी सभा हसितनापुर की ,यह द्रौपदी पड़ी निठाल है
कृष्ण की इस धारा पे ,बस नर ही नारी का काल है
चली आ रही शदियों से ,यह रीत बड़ी पुरानी है
कल बस राँवन अभिमानी था, आज राम अभिमानी है
बस वहम के अहम में , जले जा रहा है ये नर अभी
निचोड़ के नारी बदन को, ओड रहा है ये नर अभी
वक्त की चाल बस ,जरा आगे निकल आयी है
धरा अभी वही है बदले न बदल पायी है&nbs
Read More! Earn More! Learn More!