
वो जाते जाते थोडा सा गम दे गया
सुख गया था गम कुछ कम दे गया
बहुत बड़ा था असमान मेरा फिर भी
हवा मेरे पंखों को वो कम दे गया
नमक तो बहुत था जुबानों में लोगों की
मगर क्या करें वो जख
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वो जाते जाते थोडा सा गम दे गया
सुख गया था गम कुछ कम दे गया
बहुत बड़ा था असमान मेरा फिर भी
हवा मेरे पंखों को वो कम दे गया
नमक तो बहुत था जुबानों में लोगों की
मगर क्या करें वो जख