
है जिंदगी भी अब परेशां सी जाने क्यों मुझसे ,
इसकी थीकुछ मुश्किलें कहाँ सुलझी है मुझसे
हररोज़ एक नई परेशानी रूबरू होती है,
देखते है कब तक जिंदगी की निभती है मुझसे
एक अरसे से धोखा दे रहा हूँ मैं जिंदगी को भी<
Read More! Earn More! Learn More!
है जिंदगी भी अब परेशां सी जाने क्यों मुझसे ,
इसकी थीकुछ मुश्किलें कहाँ सुलझी है मुझसे
हररोज़ एक नई परेशानी रूबरू होती है,
देखते है कब तक जिंदगी की निभती है मुझसे
एक अरसे से धोखा दे रहा हूँ मैं जिंदगी को भी<