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ज्ञान किरण



चलना अगर सिख ले तू , 

    तो नियति तुझे चलायेगी।

मरना अगर सिख ले तू, 

    तो जीवन तुझे हँसायेगी।


रोते वही है वास्तव में, 

    मृत्यु से भय जो खाते है।

गोते लगाते है आसव मे,

     पर फिर भी लय ना पाते है।।


तु राग-रंग का मानव बन,

    जीवन को समझ न पायेगा। 

भवरों सा चंचल तेरा मन ,

    सुमन अमीय न पायेगा।।


तम के हृद

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