![व्यथित मन की आवाज़'s image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40deepanshuvishkarma/None/1646853876021_10-03-2022_00-54-38-AM.png)
आठ घंटे दिन के , तीस दिन महीने में
करता हूं काम , चंद रूपए कमने को
भूल जाता हूं दुख दर्द अपने , जिम्मेदारियां निभाने में
लौटता हूं जब कमरे को , पिंजरे सा आभास होता है
कोई पूछने को हाल मेरा , न मेरे पास होता है
फोन पर बातें होती ह
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