पीड़ा's image
किसी से प्रेम करना उतना ही कठिन है जितना आसान किसी की परवाह करना है। हम किसी की परवाह एक मित्र,अपने बच्चे या एक शुभचिंतक के भाव से करते हैं उसकी हर इच्छा पूर्ण करना, लाड से उसको मनाना ये सब क्रियाएं उसको हमारी आदत लगा देती हैं... ये केवल एक पक्ष की सोच हैं परंतु हम भूल जाते हैं की उस व्यक्ति पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा या जब हम चले जाएंगें उनके जीवन से तो वो किस प्रकार से खुद को संभालेंगे? साल भर में डाली गयी आदत एक क्षण में केसे भुलाई जा
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