![SHAYAD UNKO NAAM MILE's image](/images/post_og.png)
कविता- शायद उनको नाम मिले...
नादान हूं क्या नाम दूं, उन भावनाओं को
जूडी हुई जो तुमसे
उत्पन्न हो ले ले हिलोर
सिहराती तन को
सिहरन का आभास दे
भटकाती मन को
उस भटकन के आगोश में लिपटा हुआ शरीर
उन लहरों
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कविता- शायद उनको नाम मिले...
नादान हूं क्या नाम दूं, उन भावनाओं को
जूडी हुई जो तुमसे
उत्पन्न हो ले ले हिलोर
सिहराती तन को
सिहरन का आभास दे
भटकाती मन को
उस भटकन के आगोश में लिपटा हुआ शरीर
उन लहरों