
मैं कहती तो हूं
मुझे नींद बहुत आती है
लेकिन मेरे बिस्तर की
सिलहट बताती है
मुझको नींद ही नहीं आती है
मोहब्बत में मुकाम हर
किसी को मिले जरूरी नहीं
इसलिए यह हंसी खता हर
किसी से होती नहीं
जख्म अभी हैं हरे भरे
मैं अंदर से हूं बहुत भरी
फिर भी
मुझे नींद बहुत आती है
लेकिन मेरे बिस्तर की
सिलहट बताती है
मुझको नींद ही नहीं आती है
मोहब्बत में मुकाम हर
किसी को मिले जरूरी नहीं
इसलिए यह हंसी खता हर
किसी से होती नहीं
जख्म अभी हैं हरे भरे
मैं अंदर से हूं बहुत भरी
फिर भी
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