
अतीत में छुपे हुए शौर्य को
फिर से जगा रही वह मर्दानी
स्वतंत्रता के संग्राम में
कूद पड़ी वह नारी
कदंबिनी गांगुली
यह नाम नहीं मामूली
पहली भारतीय महिला स्नातक बन
अपनी कलम से आंधी लाई
गुलामी की जंजीरों में
मां भारती को एक पल देख ना पाई
कुछ कर गुजरने का जज्बा
आंखों में लिए तूफ़ान
फिर से जगा रही वह मर्दानी
स्वतंत्रता के संग्राम में
कूद पड़ी वह नारी
कदंबिनी गांगुली
यह नाम नहीं मामूली
पहली भारतीय महिला स्नातक बन
अपनी कलम से आंधी लाई
गुलामी की जंजीरों में
मां भारती को एक पल देख ना पाई
कुछ कर गुजरने का जज्बा
आंखों में लिए तूफ़ान
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