
वादा किया था वापिस आने का
ले मैं वापिस आ गया
खुद दरवाजा ना खटखटा सका
तिरंगे में लिपट के आ गया
आंखों से आंसू पोंछ लें अपने
तू मुस्कुराती ही अच्छी लगती है
इस फौजी पर हुकुम चलाने वाली रोती अच्छी नहीं लगती है
क्या हुआ अब साथ नही हूं तेरे
बस इतने ही दिन हमारे हिस्से आने थे
कुछ वा
ले मैं वापिस आ गया
खुद दरवाजा ना खटखटा सका
तिरंगे में लिपट के आ गया
आंखों से आंसू पोंछ लें अपने
तू मुस्कुराती ही अच्छी लगती है
इस फौजी पर हुकुम चलाने वाली रोती अच्छी नहीं लगती है
क्या हुआ अब साथ नही हूं तेरे
बस इतने ही दिन हमारे हिस्से आने थे
कुछ वा
Read More! Earn More! Learn More!