एक कसक's image

                 6 जनवरी 2021 को पापा और भाई मुंबई जा रहे थे उनकी ट्रेन यहीं प्रयागराज जंक्शन से थी तो मैं भी उनसे मिलने गया था। जब मैं स्टेशन पहुँचा तो ट्रेन के आने में बस आधे घंटे ही बाकी थे और इस कोविड के समय में थोड़ा पहले स्टेशन के अंदर जाना पड़ता था। इसलिए वे मुझसे ज़्यादा देर तक मिल ना सके, अंदर चले गए। मैं मेन गेट से नहीं जा सकता था क्योंकि इस समय ना तो प्लेटफार्म टिकट मिल रहा था और ना ही मैं यात्री था। मेरे मन में यह कसक रह गयी कि मैं पापा को ट्रेन में बिठाने नहीं जा पाया।

                  प्रयागराज जंक्शन की एक खासियत है कि इसमें सभी प्लेटफार्म सीरियल से नहीं हैं इसलिए अगर कोई नया यात्री होगा तो उसे प्लेटफार्म नंबर 7,8,9,10  ढ़ूँढ़ने में समस्या हो सकती है। पर मैं कई बार आ जा चुका हूँ तो मुझे अच्छे से पता था।

               मैं वहीं पर कुछ देर खड़ा रहा। फ़िर मैं सिविल लाइन की तरफ निकास द्वार वाले ओवरब्रिज की सीढ़ियों से ऊपर चढ़ा। ओवर ब्रिज पर चढ़ने के बाद कम से कम 10 मिनट इसी कशमकश में बीत गए कि मैं अंदर जाऊँ या ना जाऊँ। मैं अंदर जाना चाहता था पर डर रहा था कि कहीं किसी टी.टी. ने अंदर बिना टिकट के देख लिया तो फाइन लगा देगा। मैं जब तक वहाँ खड़ा था मुझे कोई भी टी.टी. नहीं दिखा, इसलिए मैं पूरे जोश (जो भी होगा देखा जाएगा) के साथ अंदर घुसा और ब्रिज के सहारे प्लेटफार्म नंबर 8 पर पहुंचा।

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