कभी कभी ऐसा होता है,
प्रेमी, प्रेम को प्रस्तुत कर नहीं पाते है,
तो प्रेम अपनी जगह ढूंढ़ लेता है,
किसी कविता की ओट में,
फिर चाहे जितना ढूंढो,
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कभी कभी ऐसा होता है,
प्रेमी, प्रेम को प्रस्तुत कर नहीं पाते है,
तो प्रेम अपनी जगह ढूंढ़ लेता है,
किसी कविता की ओट में,
फिर चाहे जितना ढूंढो,