"समय पढ़ रहा है दुनिया को"'s image
522K

"समय पढ़ रहा है दुनिया को"

समय पढ़ रहा है दुनिया को

और तुम बावले हुये जा रहे हो ये सोंचकर

परिधि अधीन है तुम्हारे!


         वो किसकी हुई है आजतक

  परिधि पर तुम्हारा अधिकार बस तबतक जबतक 

उंगलियों में परकाल{कम्पास} थामे तय बिंदु पर खड़े हो

       निश्चय में पूर्णता का आकार लिये

                ☀️

और आभास की विवशता देखो

वो चाहकर भी नहीं टकरा सकता तुम्हारी गति से

उस पल में

जब तुम्हारा निश्चय पल-पल अगर किसी को खुद से दूर कर रहा है तो वो तुम हो सिर्फ तुम!


"ये वो पहला आघात है जो नियति है सृजनकर्ता की"


   आघात हाँ आघात जहाँ पीड़ा ह

Read More! Earn More! Learn More!