
“सच्चा सुख”
पेड़ से गिरते पत्ते की तरह
कोई मुझे गिरा दे तो दुःख नहीं,
आकाश में चमकते सितारे सा
कोई मुझे ऊँचा उठा दे दो सुख नहीं
दुखो से न दिल टूटेगा,
खुशियों से न आशा बांध पाएगी
ये लड़ाई ये झगडे ये रोष ये बैर
क्यों पालते हो ये सब यह जानते हुए
की एक दिन ये आत्मा अकेलीRead More! Earn More! Learn More!