कुछ लिखा है तुम पर सुनाऊं क्या,
तुम्हें बनाके ग़ज़ल गुनगुनाऊं क्या,
फूलों कि खुशबू छींड़क दूँ इन पे,
भवरों के गुंजन से इन्हें सजाऊं क्या,
अलौकिक है इश्क मेरा,
शब्दों में इ
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कुछ लिखा है तुम पर सुनाऊं क्या,
तुम्हें बनाके ग़ज़ल गुनगुनाऊं क्या,
फूलों कि खुशबू छींड़क दूँ इन पे,
भवरों के गुंजन से इन्हें सजाऊं क्या,
अलौकिक है इश्क मेरा,
शब्दों में इ