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महिला दिवस: सम्मान या व्यंग्य।।।

घर की आबरू, परिवार का मान कहकर चार दिवारी में कैद कर दिया,

आवाज़ जो उठी कभी तो दो थप्पड़ लगाकर खामोश कर दिया,

अरे भगवान बनने की चाह तो उसे भी

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