प्रेम के अश्रु's image
416K

प्रेम के अश्रु

चलो मान लिया मुहब्बत थी ही नहीं,
वो तकरार ही सही, होती ही होगी,
तकिए के नीचे मुंह छुपा, रोता मैं,
थोड़ा ही सही, वो भी रोती ही होगी।

जिस रिश्ते में बंध कर हम, 
एक संग सब जीना सीखें,
उन रिश्तों को भूलने में, जरूर ही
थोड़ी परेशानी तो होती ही होगी।
तकिए के नीचे मुंह छुपा, रोता मैं,
थोड़ा ही सही, वो भी रोती ही होगी।

थोड़ी उसकी मुस्कुराहट से, 
खुशी मुझे भी होती ही होगी,
उस गुमनाम मुसाफिर की,
Read More! Earn More! Learn More!