
प्रिया तुम्हारे माथे की बिंदिया,
कभी गोल तो कभी आधे चाँद सी,
कभी लाल रंग की कभी सुनहरी तो कभी बन सतरंगी,
माथे पर तुम्हारे खूब है सजती,
लगाती हो जब माथे पर बिंदिया तुम,
क्या खूब दिखती हो तुम,
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प्रिया तुम्हारे माथे की बिंदिया,
कभी गोल तो कभी आधे चाँद सी,
कभी लाल रंग की कभी सुनहरी तो कभी बन सतरंगी,
माथे पर तुम्हारे खूब है सजती,
लगाती हो जब माथे पर बिंदिया तुम,
क्या खूब दिखती हो तुम,