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कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है..

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !

मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है !!

मैं तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है !

ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है !!


मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है !

कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है !!

यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं !

जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है !!


समंदर पीर का अन्दर है, लेकिन रो नही सकता !

यह आँसू प्यार का मोती है, इसको खो नही सकता !!

मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना, मगर सुन ले !

जो मेरा हो नही पाया, वो तेरा हो नही सकता !!


भ्रमर कोई कुमुदुनी पर मचल बैठा तो हंगामा!

हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा!!

अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का!

मैं किस्से को हकीक़त में बदल बैठा तो हंगामा!!


भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा

हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा

अभी तक डूबकर सुनते थे सब किस्सा मुहब्बत का

मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा


कभी कोई जो खुलकर हंस लिया दो पल तो हंगामा

कोई ख़्वाबों में आकर बस लिया दो पल तो हंगामा

मैं उससे दूर था तो शोर था साजिश है, साजिश है

उसे बाहों में खुलकर कस लिया दो पल तो हंगामा


जब आता है जीवन में खयालातों का हंगामा

ये जज्बातों, मुलाकातों हंसी रातों का हंगामा

जवानी के क़यामत दौर में यह सोचते हैं सब

ये हंगामे की रातें हैं या है रातों का हंगामा


कलम को खून में खुद के डुबोता हूँ तो हंगामा

गिरेबां अपना आंसू में भिगोता हूँ तो हंगामा

नही मुझ पर भी जो खुद की खबर वो है जमाने पर

मैं हंसता हूँ तो हंगामा, मैं रोता हूँ तो हंगामा


इबारत से गुनाहों तक की मंजिल में है हंगामा

ज़रा-सी पी के आये बस तो महफ़िल में है हंगामा

कभी बचपन, जवानी और बुढापे में है हंगामा

जेहन में है कभी तो फिर कभी दिल में है हंगामा


हुए पैदा तो धरती पर हुआ आबाद हंगामा

जवानी को हमारी कर गया बर्बाद हंगामा

हमारे भाल पर तकदीर ने ये लिख दिया जैसे

हमारे सामने है और हमारे बाद हंगामा


ओ प्रीत भरे संगीत भरे!

ओ मेरे पहले प्यार!

मुझे तू याद न आया कर

ओ शक्ति भरे अनुरक्ति भरे!

नस-नस के पहले ज्वार!

मुझे तू याद न आया कर।


पावस की प्रथम फुहारों से

जिसने मुझको कुछ बोल दिये

मेरे आँसु मुस्कानों की

कीमत पर जिसने तोल दिये


जिसने अहसास दिया मुझको

मै अम्बर तक उठ सकता हूं

जिसने खुद को बाँधा लेकिन

मेरे सब बंधन खोल दिये


ओ अनजाने आकर्षण से!

ओ पावन मधुर समर्पण से!

मेरे गीतों के सार

मुझे तू याद न आया कर।


मूझे पता चला मधुरे तू भी पागल बन रोती है,

जो पीङा मेरे अंतर में तेरे दिल में भी होती है

लेकिन इन बातों से

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