चलो तुम्हे पुराने दौर की मोहब्बत कराता हूँ,
क्या कब कैसे बदला सब बताता हूँ,
मौजूद नही थी छत कहीं पर, यहाँ चबूतरे हुआ करते थे,
बिन मोबाइल के उस दौर में कबूतरें हुआ करते थे,
स्क्रीनशॉट का न तब संसार हुआ करता था,
महज बातों से ही उस पर ऐतबार हुआ करता था,
किसी की शादी में आई कोई मेहमान हुआ करती थी,
कोई पड़ोस की लड़की यहाँ जान हुआ करती थी,
कभी गलियों पर तो कभी पनघट में दीदार हुआ करता था,
न दिखने पर यहाँ आशिक़ सोगवार हुआ करता था,
उसके, कहीं खेतों, पहाड़ों पर इंतज़ार होता था,
बस ऐसे ही पुराना प्यार ह
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