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छात्र कविता नहीं अपना यथार्थ लिखता है

छात्र कविता नहीं अपना यथार्थ लिखता है

अपने सपनों के खातिर वो अपनो को पीछे छोड़ आता है

नए शहर के छोटे से कमरे को वो आशियाना बनाता है

घर पर आलीशान बिस्तर पर हमेशा सोने वाला

अब नए शहर में कठोर ज़मीन पर करवटे बदलता है

छात्र कविता नहीं अपना यथार्थ लिखता है


घर के स्वादिष्ट खाने में हमेशा नुक्स निकालने वाला

आज सिर्फ कच्चे चावल-रोटी खा कर सो जाता है

10 बजे उठने वाला अब चिड़ियों से भी पहले जाग जाता है <

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