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व़क्त की बेड़ियॉं.... (ग़ज़ल)

व़क्त की बेड़ियॉं.... (ग़ज़ल)



व़क्त की बेड़ियाँ हैं, अभि चलने नहीं देतीं,

हर ख़्वाब को क़समक़श में पलने नहीं देतीं।


चाहत की राहों में, कांटे बिछा देतीं है

हसरतों के फूलों को खिलने नहीं देतीं।


दिल में अरमानों की तस्वीरें सजाते

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