
मैं अपने लफ्ज़ों में उतारूंगी तुम्हें,
तुम एक बार सामने आओ तो सही।
आँखों के रास्ते दिल में बसा लूंगी,
नज़रों से नज़रे मिलाओ तो सही।।
कुछ रोज़ से बड़ी बेचैन हैं धड़कने मेरी,
ये सुकूँ में होंगी,त
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मैं अपने लफ्ज़ों में उतारूंगी तुम्हें,
तुम एक बार सामने आओ तो सही।
आँखों के रास्ते दिल में बसा लूंगी,
नज़रों से नज़रे मिलाओ तो सही।।
कुछ रोज़ से बड़ी बेचैन हैं धड़कने मेरी,
ये सुकूँ में होंगी,त