ग़ज़ल's image


क्यों जबीं पे शिकन झलक जाती
हाए, ऑंखें मिरी छलक जाती

देख, मौज-ए-सराब की लत अब
तुझको लेकर कहाँ तलक जाती

मेरी राहों में काॅंटे हैं लेकिन
मेरी मंजिल सदा फ़
Read More! Earn More! Learn More!