बहुत ही रो लिए चुप-चाप हो जाना
मधुर सपनों में खोकर अब तो सो जाना
अगर डर लगता सन्नाटों से तो फिर तुम
किसी के यादों के मेले में खो जाना
अगर मौसम न आया लौट कर तो फिर
बरस के तुम पिया, बादल सा हो जाना
तेरे दामन पे ये जो दाग़ है गहरा
मधुर सपनों में खोकर अब तो सो जाना
अगर डर लगता सन्नाटों से तो फिर तुम
किसी के यादों के मेले में खो जाना
अगर मौसम न आया लौट कर तो फिर
बरस के तुम पिया, बादल सा हो जाना
तेरे दामन पे ये जो दाग़ है गहरा
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