ग़ज़ल-सूख जाएं's image
नदी  जलहीन  होगी  कूप  सारे  सूख  जायें
अगर  ये आँख  के आँसू  हमारे  सूख  जायें

ग़रीबी  भुखमरी  से  हे  विधाता  तंग आकर
न  बस्ती  के  चमकते  चाँद  तारे सूख जायें

कि  जैसे  जल  रहे हैं गुर्बतों  की आग में वो
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