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तेरी याद (कविता)

नित (रोज) सवेरे उठकर मैं, 
चौखट पे खड़ा देखता हुं, 
गुंजन करते पक्षी को मैं, 
ध्यान लगा के सुनता हुं। 

हर रोज मैं तेरी यादों को, 
दिल में संजोकर रखता हुं, 
सुध करके तेरी बातों को, 
चेहरा छुपाकर रोता हुं। 

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