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राष्ट्र सम्मान

मान कर,सम्मान कर, इस राष्ट्र का गुनगान कर, 

पला बढ़ा जिस मिट्टी में, उस मिट्टी का अभिमान कर, 

रह रहे जहाँ पर साधु-संत, उस धरा का तु नाम कर, 

हर रोज़ हो रहे पुण्य जहाँ, उस धरणी का तु मान कर। 

मान कर, सम्मान कर, इस राष्ट्र का गुनगान कर, 

बह रही जहाँ पर गंगा- यमुना, उस पावन धरा को प्रणाम कर, 

श्रृंगार है जहाँ हरियाली की, उस माटी का सम्मान कर, 

बोल है जहाँ हर भाषा की, उस प्रांत को सलाम कर। 

मान कर,सम्मान कर, इस राष्ट्र का गुनगान कर, 

वास है जहाँ हर धर्म का, उस देश का यशोगान कर,

सागर है जहाँ ज्ञान का, उस भूमि का अभिमान कर, 

जन्म लिए जहा

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