तब रहीम भी हो जाते कबीर,
गरीब भी हो जाते अमीर,
मरीज भी हो जाते चिकित्सक,
गर आसान होती इतनी जिंदगी।
तब घास भी बन जाते पेड़,
विंध्य भी बन जाते हिमालय,
नाले भी बन जाते नदी,
गर आसान होती इतनी जिंदगी।
वो सपने जो रह गए
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