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पूरब में उगता हुआ सूरज

पूरब में उगता हुआ सूरज जैसे कह रहा है 


तू क्यों रुक गया है बंदे , जब मैं चल रहा हूँ , 


मैं रोज उगता हूं , चलता हूँ , ढल जाता हूँ , 


नित - नित नियम यही है , फिर भी ऊबता नहीं हूं , 


मेरे भी रास्ते मे रुकावटें है , बा

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