
पानी
कभी उन्मुक्त बहता हुआ सा
कभी शांत ठहरा हुआ सा
मेरा प्रेम पानी है....
कभी आँखों से बहता हुआ
कभी होठों पर रुका हुआ
मेरा प्रेम पानी है....
कोई रंग नहीं कोई गंध नहीं
कोई स्वाद नहीं आकार नहीं
मेरा प्रेम पानी है.....
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पानी
कभी उन्मुक्त बहता हुआ सा
कभी शांत ठहरा हुआ सा
मेरा प्रेम पानी है....
कभी आँखों से बहता हुआ
कभी होठों पर रुका हुआ
मेरा प्रेम पानी है....
कोई रंग नहीं कोई गंध नहीं
कोई स्वाद नहीं आकार नहीं
मेरा प्रेम पानी है.....