उसकी तारीफ़'s image

अक्स दिखाता लहजा उसका आँखें उसकी खंजर हैं

उससे आँख मिलाने वालों की तक़दीर मुक़र्रर है


उससे मिलके उसका न हो ऐसा कोई शख्स नहीं

उसपे लिखने वालों की पूरी तक़रीर मुक़र्रर है


उसको नहीं तन्हाई का ग़म कोई रहे कोई जाये

खुद में मुकम्मल है खुद में पूरी की पूरी लश्कर है


मर्ज़ मेरा पहचानती है वो जिक्र नहीं करती इसका

मुझको बातों में उलझाते खुद मेरे चारागर हैं


दो बातें उससे हो जाएं उसमे भी खुश रहता हूँ

आशिक़

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