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तुम नर,मैं नारी बन जाती हूँ

मेरे सशक्त व्यक्तित्व से 
तुम विचलित न होना,
क्योंकि मैं जितनी सशक्त हूँ,
उतनी ही कोमल।
जिस अंतर्मन ने मुझे शक्ति दी है,
उसी ने मुझे प्रेम 
और समर्पण भी सिखाया है।
मैं तुम्हारी प्रतिस्पर्धी,
तुम्हारी प्रतिद्वंदी नहीं।
तुम्हारी पूरक शक्ति हूँ।
तुम अक्षर तो 
मैं शब्द हूँ।
कभी तुम शब्द
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