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सुनना दिल से

कविता की अनुपस्थिति में

कलम से यारी हो गई

कलम से हाथ मिलते ही

कल्पनाएं जागृत हो गई

कविता फिर

दूर होकर भी पास हो गई

शुक्र है ईश्वर का

मैंने कविता से

बेवफाई तो नहीं की

पास थी तो प्रेम किया

दूर है तो प्रेम पत्र लिखते रहे

बस डूबा रहा मैं कविता में


मिलोगे जब कविता

सुनना दिल से दिल की

मेरी कविता<

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