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मेरी कविता

ओस की वह बूंद सी 

बसंत की वह बाहर सी 

फूलों का वह हार सी   

कविता है मेरी प्रियसी  

लिख रहा हूं मैं कविता 

हां 'मेरी कविता' 


परियां भी उसके सामने 

पानी भरती हैं

है वह सुंदरियों से सुंदर  

उसी के लिए लिख रहा हूं

बच्चों की वह मुस्कान सी

मां के वह प्यार सी 

बाप के वह डांट सी

कविता है मेरी प्रियसी  

लिख रहा हूं मैं कविता

हां 'मेरी कविता' 

राधा कृष्ण

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