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मेरी अधूरी प्रेम कहानी

प्रियशी को जीना 

सिखाते सिखाते

हम ही उसके 

प्यार में पड़ गए 

वो जीना सीख गई 

हम ही उसके बिना 

जीना भूल गए


मैं प्यार में हूं

मैं दूसरी दुनियां में हूं 

मैं उसके प्यार में हूं 

जो मेरी नहीं हो सकती 

किंतु मैं उसका हो गया हूं 

आत्मा से तो वह भी मेरी है 

किंतु समाजिक बंधन 

वह तोड़ नहीं पायेगी 

हम एक नहीं हो पाएंगे

किंतु प्यार करने से हमें 

कोई नहीं रोक सकता

मैं प्यार में हूं 

हम प्यार में हैं


मैं अकेला हूं 

वह मेरा प्यार है 

किन्तु वह हमसफ़र 

किसी और की है  

वह किस्मत वाला है  

उसके पास 

अमानत मेरी है 

मेरा यही नसीब 

वह प्यार ही क्या 

जो मुकम्मल हो जाए 

मेरी अधूरी प्रेम कहानी

कविता मेरी प्रियशी


मैं तुम्हें लिखना चाहता हूं 

मैं तुम्हें जीना चाहता हूं 

मैं तुम्हें पाना चाहता हूं 

तुम्हारे प्यार में 

इतना तो मैं लिख

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