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कविता की शिकायत

मैं लिख कर दे दूंगी

तुम्हारी शिकायत

सर्वोच्च न्यायालय में

खोल दूंगी भेद सारे

बस गए हो तुम दिल में मेरे

सपने में भी आते हो

फिर मनचाही तुम करते हो

सपने से ओझल होते ही

दरवाजे पर खड़े मिलते हो

परेशान बहुत करते हो

ना तुम सोते हो

ना मुझको सोने देते हो

कर दूंगी मैं तुम्हारी शिकायत

क्यों इतना प्यार मुझसे करते हो?


प्यार में मेरे

शायरी भी लिखते हो

कभी बारिश में भिगोते हो

फिर प्यार वाले गाने तुम गाते हो

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