जीवन मैं अपने सिद्धांतों से जीना चाहता था, पर दुनिया मेरे जैसी नहीं थी , छल कपट मुझे आता नहीं था, दुनिया से सामंजस्य बिठाने में परेशान होता रहा। ढूंढता रहा हमेशा मैं अकेलापन किंतु पारिवारिक जिम्मेदारियों से पीछे हट नहीं पाया ओर दौड़ता रहा मैं दुनिया के साथ! इस दौड़ भाग में ही एक दिन वह था जब मैं आकस्मिक मृत्यु के बिल्कुल नजदीक पहुंच गया!
आज विभाग का एक साथी मिला, जब उसने मुझे देखा तो वह बहुत खुश हुआ और बोला क्या आप मुझे पहचानते हैं? मैंने विनम्रता पूर्वक कहा जी नहीं ! मेरा जवाब सुनकर वह बोला जब आपके साथ हादसा हुआ था तब हॉस्पिटल में मैं ही आप को लेकर गया था और भर्ती कराया था! मेरी आंखें भर आई मैंने उसे प्यार से गले लगाया ,और मेरी आंखों में वह हादसा तैर गया सब कुछ ताजा सा हो गया! सात फैक्चर आए थे दाहिने फेफड़े पर गंभीर चोटें आई थी 3 यूनिट ब्लड भी चढ़ा था कृत्रिम सांस पर रहा ! बता रहा था कि सभी यह बोल रहे थे कि यह लड़का बचेगा नहीं, बोला बड़ा किस्मत वाले हो यार ! मैंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया हां भाई किस्मत वाला तो हूं!
उसकी यह बातें सुनकर मुझे देवी सावित्री कथा याद आ गई, वह भी तो मांग लाई थी अपने पति सत्यवान को भगवान से! मेरी रिंकू भी कुछ ऐसे ही 26 दिन तक आईसीयू में मेरे साथ ए