
मेरी कविता
क्यों नाराज हो मुझसे मेरी खता बता दो
बातचीत बंद करने की कोई तो वजह बता दो
पसंद करता हूं मैं तुम्हें
तुम जानती थी या मैं जानता था
दुनिया से बताने की कोई वजह बता दो
दुख में साथी माना था तुमने
सुख में भूल जाने की कला हमें भी सिखा दो
मैं बागी हो जाना चाहता था तुम्हारे लिए
यह पीठ दिखाने वाला हुनर हमें भी सिखा दो
बेवफा मैं तुम्हें नह
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