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आज वह फिर याद आई है

आज वह फिर याद आई है

सपने हजारों साथ लाई है

बरसाने की राधा

जैसे गोकुल आई है

गोकुल की गलियों में हल्ला है

श्याम से मिलने राधा आई है

आज वह फिर याद आई है


आषाढ़ के महीने में जैसे बरसात आई हैं

धरती की प्यास बुझाने आज आई है

नाच उठे हैं मोर बरसात आई है

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