विरहिनी's image

ए री प्रीतम, कब सुनोगे तुम ये मेरे गीत?
बिन तेरे मेरा मन है उजड़ा, बाँसुरी-सा बिखरा चीत।
नींदों में तेरे नाम की धुन, आँखों में बसी है रात,
विरह के अंधियारे में मैं, खोई हूँ तेरी बात!

ये सूनी रजनी, ये टूट

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