
विरह-व्यथा जब घेरती, तुम आवो निकट तब।
तुम्हारे आलिंगन में, मिले शांति अमृत-रस॥
कुंतल तव लतिका सम, सुगंध मन को मोहै।
वाणी तव कोकिल स्वर, श
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विरह-व्यथा जब घेरती, तुम आवो निकट तब।
तुम्हारे आलिंगन में, मिले शांति अमृत-रस॥
कुंतल तव लतिका सम, सुगंध मन को मोहै।
वाणी तव कोकिल स्वर, श