देख रहे हो ऐसे यह तुमको नहीं ख़बर
यह आद'मी था कभी धुआं बन गया ।।
जिस मांझी ने हमको बताया तू है कहां ?
उस मांझी ने दिखाया मेरा हुनर बन गया ।।
पल भर की खुशियां किसको नहीं पता
उन रेशमी धागों ने जीवन बना दिया ।।
मैं जा रहा था अकेला इक रस्ते से कहीं
इक खिड़की ने देखा दिन बना दिया ।।
सोच रहे हो जिसको वो नहीं आज कल
मसअ'ला देखते ही वीराना बना दिया ।।
नज़रों का तो हैं यह स
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