बेटी जैसी बहु है आई,
सबके मन को बहुत है भाई,
सास-ससुर के आंख का तारा,
बनी बुढ़ापे का है सहारा,
बहू मेरी खुशियों की चाभी,
दोस्त बनी हैं ननद और भाभी,
ऐसे उसके हैं संस्कार,
जेठ-जे
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बेटी जैसी बहु है आई,
सबके मन को बहुत है भाई,
सास-ससुर के आंख का तारा,
बनी बुढ़ापे का है सहारा,
बहू मेरी खुशियों की चाभी,
दोस्त बनी हैं ननद और भाभी,
ऐसे उसके हैं संस्कार,
जेठ-जे