कार के शीशे में रह जाता शहर हम देखते हैं's image
568K

कार के शीशे में रह जाता शहर हम देखते हैं

कार के शीशे में रह जाता शहर हम देखते हैं

जाने क्यूँ उस पगली की आँखों में घर हम देखते हैं


इस क़दर वो बिछड़ा कि बस भर नज़र ना देख पाए

अब तो आती और जाती हर नज़र हम देखते हैं


हैं बड़े नादान ऐसी आँखों के मासूम सपने

क़ैद में है ज़िन्दगी फिर भी

Tag: poetry और3 अन्य
Read More! Earn More! Learn More!